रीडर टाइम्स न्यूज़ डेस्क
25 साल तक दहशत फैलाने वाली कुसुमा नाइन की मौत हो गई कुसमा इतनी क्रूर थी कि वहां जिनका अपहरण करती उनके बदन पर चूल्हे की जलती हुई लकड़ी लगा देती थी …
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कभी चंबल में बंदूकों की गरज से आतंक मचाने वाली कुसुमा नाइन ने शनिवार को चुपचाप ही दुनिया से विदा ले ली। सालों तक खौफ का पर्याय रही कुसुमा नाइन को टीबी गया था और इसी के चलते उसकी जान चली गई। दस्यु सुंदरी फूलन देवी से कुसुमा नाइन की सीधी अदावत थी और उससे बदला लेने के लिए कुसुमा नाइन ने 15 मल्लाहो को लाइन में खड़ा कर गोलियों से भून डाला था। यह कांड औरैया जिले के आस्ता गांव में हुआ था जिसे उसने लाला राम और श्री राम के साथ मिलकर अंजाम दिया था। कहा जाता है कि लाला राम के साथ उसके प्रेम संबंध भी थे। लालाराम से बदला लेने के लिए फूलन देवी ने कानपुर देहात के बही में गांव में 22 लोगों को लाइन में खड़ा कर मार डाला था। इसी का बदला लेते हुए लालाराम के साथ मिलकर कुसुमा नाइन ने 15 मल्लाहओ का कत्ल कर दिया था।
1964 में जालौन के टिकरी गांव में पैदा हुए कुसुमा नाइन को माधव माला से प्रेम हो गया था वह उसके साथ चली भी गई थी। करीब 2 साल तक उसका कोई पता नहीं चला इसके बाद उसने पिता को चिट्ठी लिखी कि वह दिल्ली के मंगोलपुरी में माधव के साथ है तब पिता दिल्ली पुलिस के साथ पहुंचे और उसे घर ले आए। पिता ने उसकी शादी करौली गांव निवासी केदार नई के साथ कर दी। माधव कुसुमा से प्रेम करता था। उसने यह बात रिश्तेदार डकैत विक्रम मल्लाह को बताइ विक्रम मल्लाह माधव को लेकर गैंग के साथियों के साथ कुसुमा के ससुराल पहुंचा उसने कुसमा को अगवा कर लिया। इसके बाद वह माधव के साथ विक्रम गैंग में शामिल हो गया। कुछ समय बाद फूलन देवी से अनबन के बाद डकैत राम आसरे तिवारी उर्फ फक्कड़ गैंग में शामिल हो गई थी।
1982 में फूलन ने किया था आत्मसमर्पण –
1980 से उसने गैंग में अपनी सक्रियता बढ़ा दी थी। 14 में 1981 को डकैत फूलन ने 22 ठाकुरों को गोली मार दी थी। इस कांड के बाद डाकू फक्कड़ और उसकी माशूका बन चुकी कुसुमा अपनी दहशत बढ़ाने के लिए बेताब थे। इस बीच 1982 में फूलन ने आत्म समर्पण कर दिया। इसके बाद फक्कड़ और कुसुमा ने साल 1984 में औरैया के में अस्ता गांव में पहुंचकर 12 मल्लाहो को लाइन से खड़ा कर गोली मार दी थी। इतना ही नहीं उनके घरों को आग लगा दी थी। इससे उसका आतंक बढ़ गया था। कुसुमा इतनी क्रूर थी कि वह जिनका अपराह्न करती थी। उनके बदन पर चूल्हे की जलती हुई लकड़ी लगा देती थी जंजीरों से बांधकर हंटर से मार दी थी।
2004 में कुसमा और उसकी गैंग ने खुद कर दिया सरेंडर –
कुसुमा नाइन कितनी कुख्यात थी इसका अंदाजा इस बात सही लगाया जा सकता है कि उसके नाम पर हत्या ,फिरौती , किडनैपिंग समेत 200 मामले यूपी में दर्ज थे इसके अलावा 35 मामले वह मध्य प्रदेश में वांछित यूपी पुलिस ने दस्यु सुंदरी पर 20000 और मध्य प्रदेश पुलिस ने 15000 का इनाम घोषित किया था। जालौन के टिकरी गांव की रहने वाली कुसुमा नाइन करीब दो दशकों तक आतंक रहा। लेकिन 2004 में उसने सरेंडर कर दिया था। कुसुमा के साथ फक्कड़ बाबा ने भी सरेंडर कर दिया था। इनके अलावा गैंग के कई प्रमुख सदस्यों छतरपुर के रहने वाले रामचंद्र वाजपेई इटावा के संतोष दुबे कमलेश वाजपेई ,मनोज मिश्रा और घूरे सिंह यादव ने भी सरेंडर किया था।
सजा काटने के दौरान टीवी की बीमारी से पीड़ित हुई कुसुमा –
एक अधिकारी की हत्या और किडनैपिंग के मामले में 2017 में कुसुमा नाइन और फक्कड़ बाबा को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। यही सजा काटने के दौरान टीबी की बीमारी से कुसुमा नाइन पीड़ित हो गई। गंभीर रूप से बीमार होने पर कुसुमा नाइन को सैफई मेडिकल कॉलेज में एडमिट कराया गया था । इसके बाद भी तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो। फिर उन्हें लखनऊ स्थित केजीएमयू अस्पताल में ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई।