मोटर साइकिल सवार बदमाशों ने पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई की गोली मारकर की हत्या …
संवाददाता लखनऊ

सीतापुर में पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई की बदमाशों द्वारा की गई हत्या के विरोध में लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। इसी क्रम में लखनऊ के पत्रकारों में भारी रोष है। 9 फरवरी को श्री बालाजी पत्रकार एसोसिएशन के नेतृत्व में सैकड़ो पत्रकारों ने और कई पत्रकार संगठनों के पदाधिकारी ने बिठौली तिराहे से इंजीनियरिंग कॉलेज चौराहे तक कैंडल मार्च निकालकर हत्या के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। सीतापुर के पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई की उस समय हत्या कर दी गई थी, जब वह महोली कस्बे से मोटरसाइकिल से दिल्ली लखनऊ नेशनल हाईवे पर जा रहे थे। तभी बदमाशों ने चार राउंड फायरिंग कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया था। इसी के विरोध में पूरे प्रदेश में पत्रकार विरोध कर रहे हैं और हत्यारों को फांसी की सजा दिलाने की मांग कर रहे हैं। 9 मार्च को श्री बालाजी पत्रकार एसोसिएशन के बैनर तले सैकड़ों पत्रकारों ने कैंडल मार्च निकालकर प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन बिठौली तिराहे से शाम 6 बजे शुरू हुआ और इंजीनियरिंग कॉलेज चौराहे पर समाप्त हुआ। श्री बालाजी पत्रकार एसोसिएशन के बैनर तले पत्रकारों ने एसीपी गाजीपुर को मुख्यमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन दिया और हत्यारों के ऊपर सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए 10 बिंदुओं में ज्ञापन दिया। इस कैंडल मार्च में श्री बालाजी संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरके मिश्रा, महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय अध्यक्ष गुड़िया निगम, लखनऊ मीडिया संगठन के संरक्षक अमित त्रिवेदी, मंडल अध्यक्ष व सूर्योदय भास्कर के प्रधान संपादक प्रशांत अवस्थी, पत्रकार व किसान मंच के प्रदेश प्रवक्ता राहुल पांडे, किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश यादव, वरिष्ठ पत्रकार पवन पांडे, पत्रकार अर्जुन यादव, अतीत यादव, गौरागिनी यादव, कुमार नंदन पाठक, वरिष्ठ पत्रकार जुबेर अहमद, योगेंद्र त्रिपाठी, आशुतोष द्विवेदी, सत्या सिंह, अभिषेक मिश्रा, शैलेंद्र वर्मा, अश्वनी कश्यप, मोहित शुक्ला, निर्मल सैनी विकास सैनी, दुर्गेश त्रिपाठी, अभिषेक, पुष्पेंद्र सिंह, राजा निगम, विजय मिश्रा उर्फ बुलेट समेत सैकड़ों पत्रकारों ने भाग लिया।
यह घटना समाज के लिए एक काला धब्बा है, पत्रकार की दिनदहाड़े हुई हत्या से भाई का माहौल है।
यह घटना वाकई दिल दहला देने वाली है, और पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है। राघवेंद्र बाजपेई की निर्मम हत्या के बाद जिस तरह से पूरे प्रदेश में पत्रकारों ने एकजुट होकर न्याय की मांग की है, वह दिखाता है कि सच की आवाज को दबाना इतना आसान नहीं है।
कैंडल मार्च और शांतिपूर्ण प्रदर्शन से लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपने तक, पत्रकार संगठनों की एकता और दृढ़ संकल्प काबिल-ए-तारीफ है। ऐसे संघर्ष से उम्मीद की जा सकती है कि प्रशासन हत्यारों को जल्द गिरफ्तार कर सख्त से सख्त सजा दिलाएगा, ताकि भविष्य में कोई भी अपराधी पत्रकारों को निशाना बनाने की हिम्मत न करे। आपको लगता है कि इस मामले में प्रशासन की कार्रवाई पर्याप्त रही है, या अब भी कुछ ठोस कदम उठाने की जरूरत है?