रीडर टाइम्स न्यूज़ डेस्क
हरदोई 23 मार्च तेईस मार्च का दिन देश भर में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। तीन महान क्रान्तिकारियों भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को 23 मार्च 1931 को फांसी दे दी गयी थी। देशवासियों ने उनके बलिदान को याद करके उन्हें श्रद्धांजलि दी।

इसी कड़ी में शहीद उद्यान स्थित कायाकल्पकेन्द्रम् के संस्थापक व सीनियर नेचरोपैथ डॉ. राजेश मिश्र ने कहा कि उन्होंने 23 मार्च 2012 को शहीद भगत सिंह के पैतृक निवास खटकड़कलां से शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर यात्रा प्रारम्भ की थी। यात्रा को अमर शहीद भगत सिंह के भतीजे की नातिन हरवीर कौर ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। खटकड़कलां से शुरू हुई यात्रा का समापन नौ अप्रैल को काकोरी शहीद स्मारक पर हुआ था।
डॉक्टर मिश्र ने कहा कि अप्रैल 2011 में पांच से नौ अप्रैल तक जंतर-मंतर पर अन्ना हजारे के साथ अनशन करने के बाद वे चिन्तन करने लगे कि देश में कानून की कमी नहीं है। अब जनलोकपाल बिल लाने की बात हो रही है। इससे देश का भला नहीं हो सकता। इतने कानून हैं, उनका क्रियान्वयन ठीक तरह से वैसे ही नहीं हो पा रहा है। ऐसे में कानून के बजाय अच्छे नागरिक बनाने पर काम करने की आवश्यकता है। एक वर्ष पूर्ण होने से पहले ही उन्होंने तेईस मार्च को शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान दिवस पर शहीद भगत सिंह के पैतृक निवास से छह प्रान्तों (पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश) की यात्रा प्रारम्भ कर दी। उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य दो विषय लिए। सभी स्वस्थ और शिक्षित हों इस नीति पर काम करना होगा। कहा गर्भकाल से लेकर पांच वर्ष की आयु तक बच्चे का निर्माण हो जाता है।
इसलिए माताओं को गर्भकाल की स्वास्थ्य नीति को अपनाते हुए उच्च कोटि का चिन्तन और अध्ययन करना होगा। बच्चे के जन्म के बाद सकारात्मक वातावरण बनाना होगा और बाल्यावस्था में उन्हें रात्रि में सोने से पहले महापुरुषों की वीर गाथाओं को सुनाना होगा, इससे निर्माण होगा। बच्चों को कहानी सुनना अच्छा लगता है और वे कहानी सुनते ही कल्पना करने लगते हैं। यह बड़ी बात है लेकिन मेरी बात को लोग समझ नहीं पा रहे हैं। कहा उनकी माता ने बाल्यावस्था में यदि उन्हें कहानियां न सुनाई होतीं तो वे इन यात्राओं में धन क्यों खर्च करते। कहा उन्होंने अपने लिए साइकिल तक नहीं खरीदी लेकिन अपनी यात्राओं से खुश हैं कि अच्छी नस्लें जन्म लेंगी और उनसे राष्ट्र निर्माण होगा। गायत्री महापुरश्चरण साधना के बाद वे इस पर जोर-शोर से काम करेंगे। डॉ श्रुति दिलीरे, डॉ अभिषेक पाण्डेय, डॉ सरल कुमार, नन्द किशोर सागर, शिवकुमार, दीपाली, अनामिका ने अमर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।