राजस्थान के बाड़मेर ज़िले में देरासर गांव में ये रिवाज सालों से चलता आ रहा है। जहां ब्याह करने आने वाली लड़कियों को भी पता होता है कि एक न एक दिन उसका पति दूसरा शादी कर लेगा। जैसे ही पत्नी गर्भवती होती है पति अपने लिए दूसरी दुल्हन ले आता है। इस इलाके में बहुविवाह का प्रचलन है और इस रिवाज के पीछे बड़ी वजह है। दरअसल राजस्थान के इन इलाकों में पानी की भारी किल्लत रहती है। पानी की किल्लत की वजह से यहां के पुरुषों को दो -तीन शादियां करनी पड़ती है। ऐसा इसलिए क्योंकि पानी की तलाश में घर की महिलाओं को तपती गर्मी में लंबी दूरी तय तक पानी लाना होता है। कई किलोमीटर तक पैदल सफर कर सिर पर पानी के घड़े रखकर पानी लाना होता है।
ऐसे में गर्भवती होने पर महिलाएं इतना भार नहीं सह पाती है और ऐसा करना उनके लिए खतरनाक होता है। लेकिन बिना पानी के काम भी नहीं चल सकता है, इसलिए पत्नी के गर्भवती होते ही घर में दूसरी महिला की जरूरत खलने लगती है और इसी जरूरत को पूरा करने के लिए पुरुष दूसरी शादी कर लेते हैं। महाराष्ट्र के देंगनमल इलाके में पुरुष तीन से चार शादियां तक करते हैं। ऐसा इसलिए ताकि एक पत्नी बच्चों और घर की देख-रेख करें तो बाकी की दोनों-तीनों पत्नियां घर के लिए पर्याप्त पानी तलाश कर लेकर आए।
अक्सर देखा गया है कि दूसरी पत्नी या तो विधवा होती हैं या पति द्वारा छोड़ी गई होती है। कई बार तो उम्रदराज पुरुष अपने से कई साल छोटी लड़कियों से शादी कर लेते हैं, क्योंकि जवान लड़कियां ज्यादा पानी भरकर ला सकती है। राजस्थान के देरासर के अलावा महाराष्ट्र के भी कई इलाकों में पानी की वजह से बहुविवाह का चलन है। महाराष्ट्र में भी कई गांव ऐसे हैं, जहां पानी की किल्लत की वजह से पुरुष दूसरी, तीसरी शादी कर लेते हैं। महाराष्ट्र में कई सूखाग्रस्त इलाके हैं। इन इलाकों में लगभग 19,000 सूखाग्रस्त गांव हैं, जिसमें से कई इलाकों में पानी के लिए दूसरी पत्नी का रिवाज है। महाराष्ट्र में ऐसी पत्नियों को ‘वाटर बाईस’ (पानी की बाई) कहा जाता है।