रीडर टाइम्स न्यूज़ डेस्क
👉 मानव शरीर प्रकृति की गोद में पलता-बढ़ता और एक दिन उसी में हो जाता है विलीन
👉 सुखमय जीवन के लिए आवश्यकताएं कम करें और प्रकृति के निकट रहें

हरदोई 25 मार्च। प्रकृति ईश्वर की देन है। आदि काल से ही प्रकृति और मनुष्य एक-दूसरे पर निर्भर हैं। मानव शरीर प्रकृति की गोद में पलता-बढ़ता और एक दिन उसी में विलीन हो जाता है। शहीद उद्यान स्थित कायाकल्पकेन्द्रम् के संस्थापक व सीनियर नेचरोपैथ डॉ. राजेश मिश्र ने बताया कि प्रकृति की गोद में जो सुख है, वह कंक्रीट के जंगल में नहीं मिल सकता; इसीलिए लोग वर्ष में एक-आध बार ईंट, पत्थर के मकानों से निकलकर तीर्थों आदि में प्राकृतिक सौंदर्य को देखने जाते हैं।
डॉक्टर मिश्र ने बताया कि उन्हें हरे-भरे स्थान पर साधना करने में सुख मिलता है। वे ग्रामीण परिवेश में जन्मे और पले-बढ़े, इसलिए उन्हें शान्त, एकान्त और प्राकृतिक वातावरण पसन्द है। वे कहते हैं कि हर समझदार व्यक्ति प्रकृति के निकट रहना पसन्द करेगा। उन्होंने बताया जिसकी आवश्यकताएं कम हैं और जो प्रकृति के निकट रहता है, वह सुखी है। बताया कि प्रकृति और आसपास के वातावरण का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्राकृतिक वातावरण में रहने से तनाव, अवसाद, एंग्जाइटी आदि पास नहीं फटकते। आगे कहा कि प्राकृतिक सौंदर्य देखने के लिए दूर जाने की जरूरत नहीं है, अपने आसपास के गांव में जाकर, खेत की मेड़ पर बैठ कर तरोताजा महसूस कर सकते हैं।

उन्होंने कायाकल्पकेन्द्रम् में यज्ञशाला का निर्माण कराया, जिसमें नगर के साधक नित्य दोनों समय प्रातः व सायंकाल सन्ध्या-हवन करते हैं। नवग्रह वाटिका की शोभा देखते ही बनती है, उसमें दीप यज्ञ किया जाता है। साधना के लिए वृक्ष कुटी है, उसमें बैठकर वे जप और ध्यान करते हैं। ग्यारह वर्षों (28 मई 2013) से दोपहर के बाद वे अन्न नहीं ले रहे हैं। सायंकाल सन्ध्या-हवन के बाद फलाहार करते हैं। कहते हैं कि उनकी आवश्यकताएं कम हैं और पेड़ पर रहना, फल खाना और जप-तप करना पसन्द है।