रीडर टाइम्स न्यूज़ डेस्क
- विश्व। यकृत दिवस पर चिकित्सकों ने कहा कि भोजन ही सर्वश्रेष्ठ औषधि।
- यकृत विकार की अनुसार आहार ग्रहण करें।
- फ़ास्ट फ़ूड / बाज़ारू भोजन से परहेज़ करें।

हरदोई १९ अप्रैल। ‘विश्व यकृत दिवस’ प्रत्येक वर्ष १९ अप्रैल को मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है “भोजन ही औषधि है”। यह थीम लिवर के स्वास्थ्य को बनाए रखने और संतुलित आहार के माध्यम से लिवर की बीमारियों को रोकने में पोषण की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर जोर देती है।
शहीद उद्यान स्थित कायाकल्पकेन्द्रम् में शनिवार को ‘विश्व यकृत दिवस’ पर आयोजित कार्यक्रम में सीनियर नेचरोपैथ डॉ० राजेश मिश्र ने कहा कि प्रकृति प्रदत्त सात्विक आहार, यकृत की विकृति से बचाएगा। उन्होंने कहा कि भोजन ही सर्वश्रेष्ठ औषधि है। इससे स्वास्थ्य रक्षा होती है और शरीर के रुग्ण हो जाने पर उपयुक्त पथ्य लेने से पुनः स्वास्थ्य ठीक हो जाता है। श्री मिश्र ने कहा कि प्रारम्भ से ही ऐसा आहार लें जिससे यकृत में कोई विकार उत्पन्न न हो, यदि किसी कारण से यकृत में कोई विकार आ गया है तो उसके अनुसार आहार ग्रहण करें। उन्होंने बाज़ारू भोजन से बचने की सलाह दी। कहा बाहर की चीजें रोगी बना रहीं हैं।

डॉक्टर मिश्र ने बताया कि नोएडा में उनके पास एक यकृत रोगी आया जिसका एम्स में उपचार चल रहा था, उसका बिलीरुबिन चार से अधिक था। उन्होंने उस रोगी को अपने आहार और उपचार पर रखा, पंद्रह महीने में उसका वजन पैंतीस किलो कम हुआ और बिलीरुबिन दो से नीचे आ गया। बताया उस रोगी का उपचार एक माह ही चला लेकिन आहार लम्बे समय तक चलाया गया था।
डॉ. सरल कुमार ने कहा कि लीवर को स्वस्थ रखने के लिए १९९६ से प्रत्येक वर्ष १९ अप्रैल को यह दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि पालक, मकोय आदि रेशेदार चीजों का सेवन करने से लीवर ठीक रहता है। उन्होंने पीलिया में गन्ने के रस को उपयोगी बताया। लीवर को ठीक रखने के लिए कोल्ड ड्रिंक, फास्ट फूड तथा मादक द्रव्यों से दूर रहने की सलाह दी।
डॉ अभिषेक पाण्डेय, शिवकुमार, आशीष जैन, दीपाली, अनामिका व अन्य लोग उपस्थित रहे।