हिंदू धर्म में चार युगों की क्या है विशेषताएं

रीडर टाइम्स डेस्क
सतयुग , त्रेता युग , द्वापरयुग
और कलयुग को मिलाकर चार युग होते हैं जिसमें से हर एक युग की कहानी अपनी एक अलग विशेषता है जहां ….

  • हिंदू धर्म में चार युगों में बांटा गया है समय
  • चारों में सबसे आखरी और छोटा है कलयुग
  • ब्रह्माण्ड पुराण में मिलता है इसका वर्णन

हिंदू ग्रन्थ व पुराणों में कालावधि को चार भागों में बांटा गया है जिसमें से पहले है सतयुग त्रेता युग द्रौपदी युग और कलयुग इसका वर्णन ब्रह्मांड पुराण में मिलता है अभी चौथा युग यानी कलयुग चल रहा है इन चार युगों के हिंदू ग्रंथो में कुछ लक्षण और गुण बताए गए हैं।

सतयुग –
सबसे पहला युग है सतयुग जिसका शाब्दिक अर्थ है सत्य का युग इसे पुराणों में कृतयुग भी कहा गया है यह चारों युगों में से सबसे शुद्ध युग और लंबा युग है जिसकी अवधि 17 लाख 28 हजार वर्ष मानी जाती गई है इस युग में धर्म में मुख्य रूप से चार धाराएं थी तब ब्रह्मचारी , सत्य और दया इस युग में मनुष्य को दीर्घ आयु प्राप्त थी और वह धार्मिक व सत्यप्रिया होते थे।

त्रेता युग –
चारों युगों में से दूसरा युग है त्रेता युग जिसकी अवधि 12 लाख 96 हजार वर्ष मानी गई इस युग में मनुष्य के लक्षणों की बात करें तो इस युग में मनुष्य को थोड़ी सी धार्मिकता आती है लेकिन इसके बाद विवाह अपने धर्म का पालन करते हैं साथ ही इस युग के मनुष्य तपस्या और वेदों का पालन व अनुसरण भी करते हैं।

द्वापर युग –
द्वापर युग दूसरा युग है जिसकी अवधि ८ लाख ६४ हजार वर्ष मानी गई हैं। नीलमत पुराण के अनुसार द्वापर युग की समय अवधि कलयुग से दो गुना है सतयुग पत्रिका युग के मुकाबले इसमें मनुष्य में धर्म थोड़ा और बढ़ गया है और युद्ध और संघर्ष जैसे परिणाम सामने आने लगे हैं।

कलयुग –
चार युगों में से अंतिम युद्ध है कलयुग जिसकी अवधि सबसे कम मानी गई यानी 4 लाख 32 हजार साल पुरानी गई है श्रीमद् भागवत पुराण के अनुसार वर्तमान में इसके लगभग 5000 वर्ष बीत चुके हैं कलयुग को पाप का युग भी कहा गया है क्योंकि इस युग में धर्म लालच हिंसा ,अराजकता , अज्ञानता सबसे अधिक पाई गई है इसी के साथ ही बाकी युगों के मुकाबले इस युग में मनुष्य की उम्र काफी कम है। इस युग का वर्णन श्रीमद् भागवत 12 ,2,13 में भी किया गया है वही पुराने में यह भी बताया गया है कि इस युग में भगवान कल्कि का अवतार होगा जो सभी पापों का नाश कर पुणे सत्य और धर्म की स्थापना करेंगे।