कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारं ।
ऊँ जय शिव ओंकारा स्वामी हर शिव ओंकारा।
एकानन चतुरानन पंचांनन राजे।
दो भुज चार चतुर्भज दस भुज अति सोहे।
अक्षमाला, बनमाला, रुंडमालाधारी।
श्वेताम्बर, पीताम्बर, बाघाम्बर अंगे।
कर मध्ये सुकमंडलु चक्र, त्रिशूल धरता।
ब्रम्हा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
काशी में विश्वनाथ विराजत नंदी ब्रह्मचारी
त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे।
जय शिव ओंकारा, स्वामी हर शिव ओंकारा।
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