सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक केंद्र सरकार दे सकती sc/st को प्रमोशन में आरक्षण

Supreme_Court_of_India

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी और एसटी) कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण के मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई| सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा  है कि जब तक संविधान पीठ इस पर अन्तिम फैसला नहीं ले लेती, तब तक सरकार प्रमोशन में आरक्षण को लागू कर सकती है। कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी में यह भी कहा कि सरकार कानून के मुताबिक एससी/एसटी कर्मचारियों को प्रमोशन में रिजर्वेशन दे सकती है।

सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एसएसजी) मनिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कमर्चारियों को प्रमोशन देना सरकार की जिम्मेदारी है। सिंह ने कहा कि अलग अलग हाई कोर्ट के फैसलों के चलते यह प्रमोशन रुक गया है।इस पर कोर्ट ने कहा कि सरकार आखिरी फैसला आने से पहले तक कानून के मुताबिक एससी/ एसटी कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण दे सकती है। हालांकि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर फैसला दिया था कि पांच जजों की संविधान पीठ मामले की सुनवाई करेगी। इससे पहले विभिन्न हाईकोर्ट ने नौकरी में पदोन्नति में आरक्षण को रद्द करने का आदेश दिया था। क्योंकि उनके अपर्याप्त प्रतिनिधत्व के बारे में आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।

यह मामला त्रिपुरा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील से सामने आया है। इसमें त्रिपुरा एससी-एसटी (सेवा पोस्ट में आरक्षण) कानून, 1991 की धारा 4(2) को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इस प्रावधान के कारण सामान्य श्रेणी के लोगों को बराबरी के अधिकार से वंचित कर दिया है क्योंकि सरकार ने आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को प्रमोशन दे दिया है। यह नगराज मामले का सरासर उल्लंघन है। लेकिन राज्य सरकार ने दलील दी कि त्रिपुरा जैसे राज्य में जहां एससी एसटी की आबदी 48 फीसदी है वहां आरक्षण में 50 फीसदी की सीमा (इंदिरा साहनी फैसला 1992) नहीं मानी जा सकती। त्रिपुरा हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ राज्य ने अपील 2015 में दायर की थी, जो अब सुनवाई पर आई है।