कथनी-करनी का भेद मिटाने का मुकद्दस महीना है रमजान

 रिपोर्ट :मौलाना गुफरान , रीडर टाइम्स

ramjaan

बिलग्राम : कहते हैं जब आपको किसी के दर्द का एहसास हो तो आपके शरीर में ईश्वर का वास होता है अगर आपका दिल हर एक के लिए फिक्रमंद है तो उसमें भी ईश्वर के होने के संकेत हैं . अनलहक यानी अहम ब्राहिम्म जैसे शब्द तभी वजूद में आए जब इंसान में दूसरे इंसान को दुख को महसूस करके दुखी इनसानों की फिक्र शुरू की . तब ईश्वर ने ऐसा करने वाले का ह्र्दय इतना चमत्कार कर दिया कि उसे खुद में ईश्वर के होने का एहसास हो गया .यानी उसे ईश्वर की अनुभूति हो गई . अब इसी का एक रूप देखिए कि जब लोग रमजान में रोजा रखते हैं तब वह दिनभर खुद को भूखा प्यासा रखते हैं.

गौर से देखिए तो मालूम होगा कि हर धर्म में रोजे या व्रत का महत्व है . सभी धर्म इसे किसी न किसी रूप में अपनाते रहे हैं एवं सामाजिक कारण अभूतपूर्व मालूम पड़ता है. आप भूखे रहते हैं जब आपको एहसास होता है कि हमारे समाज की बहुत बड़ी आबादी बिना खाना खाये रातों को सो जाती है. उसकी जिंदगी का दर्द कैसा होगा जब आप प्यासे रहते हैं तब आपको एहसास होता है कि जिन इलाकों में पानी नहीं है या जहां पानी खत्म हो चुका है वहां के लोग कैसे प्यासे जिंदगी गुजारते हैं . एक दूसरे को एहसास को जीने जैसा है . यह उनके दुख दर्द को महसूस करके उसे दूर करने में लगने वाला एक संवेदनाओ से भरा व्यायाम है .

रमजान हमें एहसास दिलाता है कि जो पूरे एक महीने हम भूखे और प्यासे दिन गुजारते हैं . यह बहुतोंं की जिंदगी में जिंदगी भर के लिए है इसलिए रमजान में हैसियतमंद लोगों से जकात देने को कहा गया .ये पूरा महीना एक तरह की वर्क शॉप है जिसमें आप अपने बुजुर्गों के साथ बच्चों को वह मदद, त्याग,समर्पण और प्रेम की डोर पकड़ाते हैं . जिससे समाज मुस्कुराकर खिल उठे . रमजान का मूल कहता है कि इस महीने में जो सीखो उसे पूरे साल अपनाओ .

यह महीना कथनी और करनी के अंतर को भी  मिटाता है . जब हम केवल मुंह से कहते हैं कि देखो फला के यहां खाने को नहीं है , देखो फला के यहां पीने को पानी नहीं है, इनकी जिंदगी कितनी दुश्वार होगी , तब जब हम उनके एहसास को सामने रखकर रोजा रखते हैं , पर हमारी कथनी और करनी का अंतर मिट जाता है . ईश्वर के सामने सबसे बड़ी तपस्या यही है कि उसके बनाए इंसानों को खिदमत और उनसे मोहब्बत की जाए , अपने हद से दूसरे के प्रति करुणा और प्रेम रखिए तो ईश्वर आपके ह्र्दय में खुद ब खुद बैठ जाएगा . जिससे आत्मा चमक जाएगी और वह चमक समाज को सुकून पहुंचाएगी . रमजान को धर्म से इतर समाज की गुत्थियों से देखिए तो इसका महत्व दिल और नरम कर देगा .