कुदरत ने बड़ी खूबसूरती से संवारा है इसे

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केरल : केरल का इतिहास उसके व्यापार से नज़दीकी से जुड़ा है जो पिछले कुछ समय तक इसके मसालों के व्यापार तक सीमित था। भारत के मसाला तट के रूप में प्रसिद्ध प्राचीन केरल में पूरी दुनिया के यात्री और व्यापारी आते थे जिनमें ग्रीक, रोमन, अरबी, चीनी, पुर्तगाली, डट, फ्रांसीसी और ब्रिटिश शामिल है। इनमें से सभी विदेशियों ने किसी न किसी तरह यहाँ अपनी छाप छोड़ी है जिसके कारण दुनिया के साथ केरल का  व्यवहार करने का अपना अलग तरीका है जो केरल की तरह खूबसूरत है। केरल को कुदरत ने बड़ी खूबसूरती से संवारा है इसलिए हनीमून के लिए केरल सबसे उपयुक्त जगह है। ऊंचे-ऊंचे पहाड़, शानदार समुद्री किनारा, नारियल और खजूर के पेड़ों के झुरमुट के बीच में से नाव पर सवारी, चारों ओर हरियाली और बेहद खूबसूरत नजारे, ये सब हैं केरल की खूबसूरती की असली पहचान। इन रुमानी नजारों में प्यारभरे दिलों की धड़कनें बढ़ना स्वाभाविक है।

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 अगर आपको समुद्री किनारों से खास लगाव है तो यहां मौजूद चुआरा बीच, कोवलम बीच, मरुदेश्वर बीच, बेकल बीच, वर्कला बीच और शांघमुघम बीच आपके लिए सही रहेंगे। अगर आप किसी हिल स्टेशन का मजा लेना चाहते हैं तो केरल में मुन्नार, पेरीमेड, इड्डुकी, लक्कडी, देवीकुलम जैसे खूबसूरत पहाड़ी इलाकों में से आप किसी का भी चुनाव कर सकते हैं। खासकर मुन्नार तो देश ही नहीं, विदेशी सैलानियों के बीच भी काफी मशहूर है। 

 पश्चिम में अरब सागर, पूर्व में पश्चिमी घाट और आपस में जुड़ी 44 नदियों वाले केरल में ऐसी अनेक भौगोलिक विशेषताएँ हैं जिनके कारण यह एशिया का सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थल बना है। शांत समुद्र तटों के साथ लंबी तटरेखा, हरे और खूबसूरत बैकवाटर, घने हिल स्टेशन और विलक्षण वन्य जीवन जैसे आश्चर्य आपको यहां ज़रूर आकर्षित कर लाएँगे। इतना ही नही, इनमें से हर खूबसूरत जगह, एक दूसरे से कुछ ही घंटों की दूरी पर है जो ऐसी खास बात है कि आपको कहीं और नहीं मिलेगी।  केरल ने पूरी दुनिया को दिखा दिया है कि संस्कृति अपने बीते समय को किस तरह सम्मान दे सकती है और आगे उन्नति और प्रगति भी कर सकती है। शत-प्रतिशत साक्षरता, विश्व स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली, भारत का न्यूनतम शिशु मृत्यु दर और सर्वाधिक जीवन आयु दर ऐसी उपलब्धियाँ हैं जिन पर यहाँ के लोगों को गर्व है।

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पूरे वर्ष खुशनुमा और समान जलवायु से संपन्न केरल उष्णकटिबंधीय भूमि है जहाँ आप चैन से आराम कर सकते हैं। यहाँ मानसून (जून-सितंबर और अक्तूबर-नवंबर) और गर्मियों का मौसम विशेष रूप से महसूस होता है जबकि शीत ऋतु में तापमान सामान्य स्तर यानी 28-32° सें. से कुछ ही कम होता है। यहाँ का आम तौर पर खुशनुमा जलवायु पर्यटकों को खुश कर देता है। ये ऐसे अवसर होते हैं जहां केरल की जीवनशैली की विशिष्ट सादगी पर भव्यता छा जाती है। समारोहों में, चाहे यह राजकीय त्योहार ओणम हो अथवा स्थानीय प्रार्थना स्थल, नए कपड़े और शानदार भोज अनिवार्य होते हैं। हर्षोल्लास के अवसर होने के अतिरिक्त केरल के त्योहारों में इस भूमि की कला और संस्कृति को पारंपरिक रूप से सुरक्षित रखा गया है। त्योहार चाहे धार्मिक हो अथवा सामाजिक, पारंपरिक या आधुनिक हो, कला उत्सव के बिना यह पूर्ण नहीं माना जाता, जो 2000 साल पुराने कुटियाट्टम से लेकर समकालीन स्टेज शो भी हो सकता है।

 पारंपरिक त्योहार
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अडूर गजमेला, आट्टुवेला महोत्सवम,मचाट्टु मामंगम,चेट्टिकुलंगर भरणि,ओणम,कल्प्पात्ति रथोत्सवम,आट्टुकाल पोंगाला,ईद उल फितर, तिरुवोणम,पुलिकली,ताइपूय महोत्सवम, हरिप्पाड,तैपूयम महोत्सवम, कूरकंचेरी,मलनटा केट्टुकाज्ह्चा, नेन्मारा वल्लंगि वेल ,  परिप्पल्ली गजमेला,कोडुंगल्लूर भरणि आदि ।