हरे-भरे खेतों वाले सुंदर राज्य पंजाब या पांचाल को किसी ने सही ही नाम दिया है- भारत की मुस्कराती आत्मा। रावी, बीज, सतलज, चेनाब और झेलम जैसी राजसी नदियों के पानी से सिंचित उर्वर धरती और उसके ईर्द-गिर्द की प्राकृतिक सुंदरता साफ झलकती है। इस तरह पंजाब के पास दुनियाभर के पर्यटकों को देने के लिए काफी कुछ है।
पंजाब में सूर्यास्त का नजारा अपने आप में खास है। आसमान का एक कोना सुनहरा हो चुका है। पहाड़ियों पर भी नीली, इंडीगो और बैगनी रंग चढ़ गया है। पहाड़ी से नीचे की ओर आ रहे पत्थरों को आधा खजूर के पेड़ों ने ढंका है। शांत माहौल में चमकते किसी गहने की ही तरह सूरज की रोशनी फूट रही है। यह एक ऐसा दृश्य है, जिसे कोई भी हमेशा अपने दिल के करीब रखना चाहेगा।
पंजाब सरकार के पर्यटन विभाग ने भी कुछ व्यापक पैकेज टूर्स बनाए हैं। इनमें काफी कम खर्च पर एक इलाके के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के लुभावने नजारे देखना शामिल है। राज्य प्रसिद्ध है शाही स्वर्ण मंदिर के लिए, जिसमें शांति और पवित्रता आज भी कायम है। राम तीर्थ, अमृतसर और बाल्मिकी का तपोवन हिंदुओं के दो प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। जबकि इस धर्मनिरपेक्ष राज्य में पीर बाबा हाजी रत्तन की मजार काफी प्रसिद्ध है।
पंजाब किसी जमाने में भारत की एक रियासत था। यहां महाराजा रणजीत सिंह का राज था। राजसी महलों की भव्यता और ठाठ देखते ही बनते हैं। इसके अलावा यह राज्य जलियावाला बाग हत्याकांड का मूकदर्शक भी रहा है।
इस राज्य तक पहुंचना मुश्किल नहीं है। चंडीगढ़ और अमृतसर में हवाई अड्डे हैं। कई रेलवे स्टेशन हैं, जो देश के अलग-अलग हिस्सों से राज्य को जोड़ते हैं। पंजाब से कई राष्ट्रीय राजमार्ग भी जुड़े हैं। इस रंगीन और आकर्षक राज्य में विविध प्राकृतिक विरासतें तो हैं ही। सालभर चलने वाले बहुरंगी त्योहार और उत्सव भी हैं। जिस राज्य के भांगड़ा संगीत और ढाबा संस्कृति देश-विदेश पर छाई हो, यह खरीदारी का स्वर्ग तो है ही। ऊनी और होजयरी प्रोडक्ट्स, कारपेट्स, जूती और अन्य हस्तशिल्पों का अपना बाजार है।
नदियों और सांस्कृतिक विविधता की धरती पंजाब अपने खान-पान, संस्कृति और इतिहास के लिए भी पहचाना जाता है। चटक हरी उर्वर खेती की जमीन, टिमटिमाता पानी, नीले रंग के विविध प्रकारों का आसमान आपको सदा के लिए याद रहने वाला सजीव अनुभव देता है। आकर्षक शहरों में प्रेरक स्मारक, गुरुद्वारा, पवित्र धर्मस्थल, मंदिर, आश्रम, चौड़ी झीलें, संग्रहालय, शॉपिंग सेंटर और वन्य जीव अभयारण्य की एक शृंखला आपको मिलेगी।
पंजाब में देखने लायक जगहें
स्वर्ण मंदिर
स्वर्ण मंदिर प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। पंजाब और भारत का सबसे प्रसिद्ध पर्यटन आकर्षण भी हैं। सिख धर्म के सबसे पुराने और पवित्र धर्मस्थल के प्रति दुनियाभर के सभी धर्मों को मानने वाले लाखों लोगों की आस्था जुड़ी है। यह मंदिर चारों ओर से अमृत सरोवर से घिरा है। मंदिर के गुंबद पर सोने का आवरण है, जो गर्मियों में चमचमाते सूर्य की धूप से चमक उठता है। इसी वजह से इस मंदिर को गोल्डन टेंपल या स्वर्ण मंदिर कहा जाता है।
जलियांवाला बाग
जलियांवाला बाग वह स्थान है, जहां ब्रिटिश सेना ने 13 अप्रैल 1919 को सैकड़ों निर्दोष और निहत्थे प्रदर्शनकारियों को घेरकर मौत के घाट उतार दिया था। दीवारों पर गोलियों के निशान आज भी है। बाग के बीच में शहीदों का कुआं है, जहां खुद को ब्रिटिश सेना की गोलियों से बचाने के लिए सैकड़ों लोग कूद पड़े थे। यह जगह भारत के सबसे बड़े हादसे का साक्षी रहा है।
वाघा बॉर्डर
अमृतसर से 28 किलोमीटर दूर स्थित वाघा बॉर्डर भारत और पाकिस्तान को अलग करती है। ध्वजों को नीचे उतारने का रोज होने वाला समारोह प्रमुख पर्यटन आकर्षण है। दोनों देशों के सैनिक इस समारोह को अंजाम देते हैं। भारत का सीमा सुरक्षा बल और पाकिस्तान का पाकिस्तान रेंजर्स।
शीश महल
भारत की मुस्कराती आत्मा कहलाने वाला पंजाब बगीचों और किलों के शहरों वाला राज्य भी है। पंजाब के आलीशान महल टेढ़े-मेढ़े खेतों और भव्य मंदिरों की खूबसूरती को और बढ़ा देते हैं। शीश महल भी पटियाला में ऐसा ही एक अति-सुंदर महल है, जो तत्कालीन महाराजाओं की भव्य जीवनशैली को दिखाता है।
गुरुद्वारा आनंदपुर साहिब
सिख धर्म के पवित्र संदेश की व्याख्या करता आनंदपुर साहिब चंडीगढ़ के उत्तर-पश्चिम हिस्से में स्थित है। खालसा की जन्मस्थली के तौर पर इस जगह का धार्मिक महत्व है। समझा जाता है कि श्री गुरु तेग बहादुर जी ने 1664 में इसी जगह पर जन्म लिया था।
हरमंदिर साहिब
अमृतसर में हरमंदिर साहिब को ही गोल्डन टेम्पल या स्वर्ण मंदिर के तौर पर जाना जाता है। इसे श्री दरबार साहिब के तौर पर भी जाना जाता है। यह गुरुद्वारा अमृतसर के मध्य भाग में स्थित है। हरमंदिर साहिब अमृत सरोवर के पानी से घिरे एक आयताकार प्लेटफार्म पर स्थित है। इसी झील के नाम पर शहर को अमृतसर नाम मिला है।
हरमंदिर साहिब की स्थापत्य कला हिंदू और मुस्लिम शैली का मिश्रण है। यह संगमरमर का दो मंजिला ढांचा है। हरमंदिर साहिब तक गुरु के सेतु से होकर पहुंचा जा सकता है। इस मंदिर की ऊपरी मंजिल सोने से ढंकी है। इस पर ताज के तौर पर सुनहरा गुंबद है। सुनहरा गुंबद उल्टे रखे कमल के आकार का ढांचा है।