सावधान:RBI की सख्ती के चलते बंद हो रहे हैं इन 11 बैंकों के एटीएम, कहीं आपका भी तो नहीं है, इन बैंको में खाता

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अगर आप भी एटीएम कार्ड का इस्तेमाल करते हैं तो यह खबर जरूर पढ़ें। आपको बड़ा फायदा देगी। दरअसल, आपका एटीएम कार्ड मार्च-2019 के बाद सुरक्षित हो जाएगा। भारतीय रिजर्व बैंक ने मार्च तक सभी बैंकों को अपने एटीएम कार्ड ‘एंटी क्लोनिंग’ करने के निर्देश दिए हैं। आरबीआई ने यह कदम देशभर से सामने आ रहीं एटीएम फ्रॉड संबंधी शिकायतों के बाद उठाया है।

11 पब्लिक सेक्टर बैंक जो पीसीए लिस्ट में आए हैं, उनमें से सात ने अपने एटीएम की संख्या में खासी कमी की है। आरबीआई के डेटा के मुताबिक इनमें सेंट्रल बैंक, इलाहाबाद बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, कॉरपोरेशन बैंक और यूको बैंक शामिल हैं। एटीएम की संख्या में सबसे ज्यादा कटौती सितंबर 2015 में पीसीए में आए इंडियन ओवरसीज बैंक ने की है। बैंक ने अपने 15% एटीएम बंद कर दिए हैं जिससे उनकी संख्या अप्रैल 2017 के 3500 से घटकर इस साल अप्रैल में 3,000 रह गया।

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इस क्रम में UCO बैंक और केनरा बैंक दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं जिन्होंने अपने 7.6% ATM बंद कर दिए हैं। आरबीआई के डेटा के मुताबिक, पीसीए स्कीम के तहत उसकी निगरानी में आए बैंकों ने पिछले साल 1,635 एटीएम पॉइंट्स बंद किए थे। ये भी तब हुआ है जब पिछले एक साल में ग्रामीण भारत सहित देश में कैश विदड्रॉअल 22 प्रतिशत बढ़ा है। एटीएम में कटौती आरबीआई के रेगुलेटरी ऑर्डर्स के बाद की जा रही है। सबसे ज्यादा एटीएम इंडियन ओवरसीज बैंक ने बंद किए हैं।

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दरअसल, एटीएम की संख्या पिछले साल के 2,07,813 से 107 बढ़कर इस साल 2,07,920 हो गई है, जिससे यह मतलब निकाला जा सकता है कि पीसीए वाले बैंकों ने जो एटीएम बंद किए हैं, उसकी दूसरे बैंकों ने भरपाई कर दी है। एसबीआई के डेप्युटी एमडी नीरज व्यास ने कहा, ‘एक एटीएम की कीमत लगभग ढाई लाख और उसकी ऑपरेशनल कॉस्ट 4.5-5 लाख होती है। उन्होंने कहा, ‘एक एटीएम की कीमत 2.5 लाख होती है और ऑपरेशनल कॉस्ट 4.-5 लाख के बीच। इसपर 20 लाख रुपये और जोड़ लें जिसपर कोई रिटर्न नहीं मिलता। अपने नेटवर्क पर नकदी और फ्री ट्रांस्जैक्शन का प्रबंधन करते हैं, और फिर हमारे ग्राहक अन्य बैंकों के एटीएम का उपयोग करते हैं। इससे एटीएम बिजनेस कोई भी आकर्षक नहीं बनता है।

पीसीए वाली बंदिशों के चलते सरकारी बैंकों के मार्केट शेयर पर दबाव बना है। कमर्शल लेंडिंग मार्केट में सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी मार्च 2016 के 32 लाख करोड़ रुपये से घटकर दिसंबर 2017 में 31.1 लाख करोड़ रह गई। इस दौरान प्राइवेट बैंकों की लेंडिंग 9.1 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 10.9 लाख करोड़ रुपये जबकि एनबीएफसी का लोन पोर्टफोलियो 2.2 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 3.9 लाख करोड़ रुपये हो गया।