जोधपुर : मारवाड़ राजघराने की पूर्व राजमाता और जोधपुर की पूर्व सांसद कृष्णा कुमारी (92) का सोमवार रात निधन हो गया। हार्ट अटैक के बाद उन्हें रविवार को गोयल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सोमवार रात को उन्हें फिर हार्ट अटैक आया। रात एक बजे तक पूर्व राजपरिवार के सूत्रों की ओर से उनकी हालत में सुधार बताया जा रहा था। लेकिन बाद में उनके शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। रात 1.20 अस्पताल से यह दुखद खबर आई कि राजमाता कृष्णाकुमारी नहीं रहीं। पूर्व राजमाता का अंतिम संस्कार मंगलवार को शाम चार बजे जसवंत थड़ा पर किया जाएगा। इससे पूर्व दोपहर 1:30 से 3:00 बजे तक उनकी पार्थिव देह आमजन के दर्शनार्थ उम्मेद भवन पैलेस में रखी जाएगी। 3:30 बजे अंतिम यात्रा जसवंत थड़ा के लिए रवाना होगी।
कृष्णाकुमारी मूलतया गुजरात के ध्रांगध्रा राजघराने की राजकुमारी थीं। मारवाड़ के पूर्व महाराजा हनवंतसिंह से विवाह के बाद वे जोधपुर आई थीं। उनके तीन संतानें चंद्रेश कुमारी, शैलेश कुमारी और गजसिंह हैं। अपने शहर से उनका सरोकार ऐसा था कि वे हर कुछ दिन बाद भीतरी शहर से महिलाओं को बुलवाती थीं। उनके साथ बैठकर वे पूरे शहर की हलचल, बदलाव और लोगों की खबर लेती थीं। इसके मुताबिक वे कई सामाजिक कार्य भी करवाती थीं। बरसों-बरस उनकी यह सखियां उन्हें शहर की एक-एक बात से अवगत करवाती थीं।
बतौर बहू वे 1943 में जोधपुर आईं। इससे पहले वे गुजरात की एक छोटी-सी रियासत ध्रांग्ध्रा की राजकुमारी हुआ करती थी। उनका विवाह मारवाड़ के तत्कालीन महाराजा उम्मेदसिंह के सबसे बड़े बेटे महाराजा हनवंत सिंह के साथ हुआ। उनकी तीन संतानों में सबसे बड़ी चंद्रेश कुमारी, शैलेष कुमारी और गजसिंह हैं। 1952 में हनवंतसिंह के विमान हादसे में आकस्मिक निधन के बाद राजमाता ने परिवार और आर्थिक जिम्मेदारियां संभालीं। बेटे के बेहतर भविष्य के लिए वे छोटी उम्र में ही गजसिंह को विदेश भेजने में नहीं हिचकिचाई। उन्होंने हनवंतसिंह की दूसरी पत्नी जुबैदा के बेटे हुकमसिंह उर्फ टूटूबन्ना को भी उसी ममत्व से पाला। जब राजनीतिक में प्रतिनिधित्व करने की बात आईं तो उन्होंने 1971 में लोकसभा का चुनाव लड़ा। बरसों बाद उन्होंने फिर मारवाड़ की जनता से आव्हान किया। समय बदले, संबंद्ध नहीं बदलें। जनता ने भी इसका पूरा समर्थन उन्हें रिकॉर्ड मतों से जिताकर दिया। पूर्व राजमाता ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान घूंघट प्रथा को हटाने की मुहिम भी छेड़ी। उन्होंने महिलाओं को परदे से बाहर आने को भी प्रेरित किया था।
कृष्णा कुमारी उन अग्रणी महिलाओं में मानी जाती हैं, जिन्होंने सबसे पहले पर्दा प्रथा को त्यागा। इतना ही नहीं उन्होंने अन्य महिलाओं को भी पर्दा छोड़ने का आह्वान किया। कृष्णा कुमारी बेटियों की पढ़ाई के प्रति भी हमेशा जागरूक करती रहतीं। इसी का नतीजा रहा कि शहर की अग्रणी बालिका स्कूल उनकी प्रेरणा से उनके नाम पर स्थापित किया गया।
उनके निधन पर राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने ट्वीट कर दुःख जताया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि, ‘जोधपुर की राजमाता कृष्ण कुमारी जी के निधन से गहरा दुख हुआ. महिला सशक्तिकरण और लड़कियों की शिक्षा के लिए एक चैंपियन, राजमाता सभी राजस्थान की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा थी.
Deeply saddened by the demise of Rajmata Krishna Kumari ji of Jodhpur. A champion for women empowerment and girls’ education, Rajmata was an inspiration to the women of #Rajasthan.
— Vasundhara Raje (@VasundharaBJP) July 3, 2018
Deeply saddened to know about the passing away of #Jodhpur Rajmata and former MP Smt Krishna Kumari ji.. My heartfelt condolences to the bereaved family…may god give them strength to bear the loss and may her soul rest in peace.
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) July 3, 2018