मनी लॉन्ड्रिंग, लोन डिफॉल्ट और बैंकों का बकाए को लेकर केस हार चुके विजय माल्या खुद संपत्ति देने को तैयार हैं | भारतीय बैंकों का हजारों करोड़ रुपये का लोन लेकर फरार कारोबारी विजय माल्या ने कहा है, कि ब्रिटेन में उनकी कोई प्रॉपर्टी नहीं है और जो भी प्रॉपर्टी है, वह उनके मां और बच्चों के नाम है, उन्होंने कहा कि उनकी मां और बच्चों की प्रॉपर्टी को कोई छू भी नहीं सकता |
वह अपना प्लान सौंप चुके हैं, वह बैंकों का पैसा चुकाने को तैयार हैं, लेकिन, जबरन संपत्ति जब्त करने की कोशिश की जा रही है, ब्रिटेन कोर्ट ने जो आदेश दिया है, उससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि, ब्रिटेन की ज्यादातर संपत्ति उनके परिवार के नाम पर है | उधर, भारत सरकार माल्या के लंदन से प्रत्यपर्ण के लिए पूरा जोर लगा रही है, और इस बारे में लंदन की अदालत सितंबर तक कोई फैसला कर सकती है |
वह भारत आने को तैयार हैं और बैंकों से सेटलमेंट करना चाहते हैं, उन्हें सिर्फ पोस्टर ब्वॉय बनाया जा रहा है, आपको बता दें, ब्रिटिश हाईकोर्ट ने भारतीय बैंकों की अर्जी पर अपना फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि 13 बैंकों के संगठन विजय माल्या से संबंधित संपत्तियों की जांच और नियंत्रण के लिए तलाशी ले सकते हैं |
बैंकों का 9000 करोड़ रुपये का लोन नहीं चुकाने वाले 62 वर्षीय माल्या के प्रत्यर्पण के लिए भारत ने ब्रिटिश कोर्ट से अपील की है। इस मामले में सितंबर की शुरुआत तक कोई फैसला आ सकता है। ब्रिटिश फॉर्म्यूला वन ग्रैंड प्रिक्स के दौरान माल्या ने कहा कि मेरे नाम पर जो संपत्ति है, वह सौंप दूंगा लेकिन आलीशान घर बच्चों के नाम है और लंदन स्थित घर उसकी मां का है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में उनके नाम बस कुछ कारें और ज्यूलरी ही हैं, जिन्हें वह कभी भी सौंपने को तैयार हैं, गौरतलब है कि पिछले हफ्ते ही ब्रिटिश हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि ब्रिटिश अधिकारी लंदन स्थित माल्या की संपत्तियों की जांच और जब्ती कर सकते हैं |
बैंकों को अब यह लग रहा है कि विदेश में माल्या की संपत्तियों पर ED दावा कर सकता है। लॉ फर्म केसर दास के मैनेजिंग पार्टनर सुमंत बत्रा ने बताया, ‘यह आशंका है कि अगर ED ने कुछ विदेशी संपत्तियों को जब्त किया तो बैंक उनसे वसूली नहीं कर सकेंगे। कानूनों तौर पर बैंकों का पक्ष मजबूत है, लेकिन इस मुद्दे को लेकर और स्पष्टता की जरूरत है।
ब्रिटेन की एक अदालत ने हाल ही में भारतीय बैंकों के पक्ष में फैसला देते हुए एन्फोर्समेंट अधिकारियों को माल्या की प्रॉपर्टी में प्रवेश करने और सामान जब्त करने की अनुमति दी थी। इससे पहले ब्रिटेन के एक हाई कोर्ट ने मई में अपने फैसले में ऑर्डर को पलटने से मना कर दिया था, जिसमें माल्या की संपत्तियों को फ्रीज किया गया था। ब्रिटिश कोर्ट ने भारतीय अदालत के उस फैसले को सही ठहराया था जिसमें भारतीय बैंकों को अपनी बकाया रकम की वसूली का अधिकार दिया गया था |
सूत्रों का कहना है, कि मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बनने पर आरोप आपराधिक हो जाता है। यह मामला पूरी तरह ED और CBI के अधिकार क्षेत्र में आता है। नियम के तहत, मामले की सुनवाई चलने के दौरान भी ED की ओर से जब्त की गई प्रॉपर्टीज को बेचकर रकम सरकारी खाते में जमा कराई जा सकती है। इस बारे में ईमेल से भेजे गए प्रश्नों का माल्या ने उत्तर नहीं दिया।