निर्भया गैंगरेप और मर्डर के बहुचर्चित मामले में दोषियों की रिव्यू पिटिशन को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 4 मई को पवन, विनय और मुकेश की पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था। चौथे दोषी अक्षय ने पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं की थी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब इन दोषियों के पास क्यूरेटिव पिटिशन और फिर राष्ट्रपति के पास दया याचिका का विकल्प ही बचता है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2017 के फैसले में दिल्ली हाईकोर्ट और निचली अदालत द्वारा 23 वर्षीय पैरामेडिक छात्रा से 16 दिसंबर 2012 को गैंगरेप और मर्डर के मामले में उन्हें सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखा था। आरोपियों में से एक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। वहीं आरोपियों में एक किशोर भी शामिल था। उसे किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराया था। उसे तीन साल सुधार गृह में रखे जाने के बाद रिहा कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने तीनों दोषियों की याचिका खारिज कर दी है और अब उनकी फांसी की सजा को उम्र कैद में नहीं बदला जाएगा, यानी फांसी की सजा बरकरार रहेगी | सुप्रीम कोर्ट में फैसला पढ़ा जा रहा है, कुछ देर में फैसला सामने आएगा |
निर्भया की मां आशा देवी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कहा कि वे नाबालिग नहीं हैं, यह दुख की बात है कि उन्होंने इस तरह के अपराध को अंजाम दिया, यह फैसला कोर्ट के प्रति विश्वास बहाल करता है, हमें न्याय जरूर मिलेगा |
निर्भया के पिता बद्रीनाथ ने कहा कि हमें पहले ही पता था | कि पुनर्विचार याचिका खारिज होगी, मगर अब क्या? बहुत सारा वक्त बीत चुका है, और इस दौरान महिलाओं के प्रति खतरा पहले से ज्यादा बढ़ गया है | मुझे उम्मीद है कि दोषी जल्द ही फांसी पर लटकेंगे | सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अपील के दौरान दोषियों को विस्तार से सुना गया था | और वे इस फैसले पर पुनर्विचार के लिये कोई आधार नहीं बता सके | सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन मुजरिमों को मौत की सजा सुनाई गई, वे शीर्ष अदालत के निर्णय में कोई भी त्रुटि बताने मे असफल रहे | इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुनर्विचार का कोई आधार नहीं है |
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निर्भया मामले की सुनवाई के दौरान हमने हिमालय की तरह धैर्यता रखी थी | सुप्रीम कोर्ट ने दोषी मुकेश की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा, ‘पीड़ित के शरीर पर मुकेश के दांतों के निशान को अनदेखा कैसे कर सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुकेश को दोषी डीएनए की जांच, पीड़ित के आखिरी समय के बयान और रिकवरी के आधार पर ठहराया गया है, सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अगर आपके अनुसार CRPC 313 के तहत दर्ज बयान को नहीं माना जाए क्योंकि आपके मुताबिक आपने टॉर्चर के बाद बयान दिया और आप दबाव में थे तो ऐसे में फिर देश में कोई भी ट्रायल नहीं चल पाएगा |
मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने दोषी मुकेश के पुनर्विचार याचिका का विरोध किया. दिल्ली पुलिस ने कहा कि ये मामला पुनर्विचार का बनता ही नहीं है, दिल्ली पुलिस ने कहा कि जो टॉर्चर थ्योरी ये कह रहे हैं वो गलत है क्योंकि अगर ऐसा होता तो तिहाड़ जेल प्रसाशन या निचली अदालत को बता सकते थे | लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया. दिल्ली पुलिस ने कहा कि इस मामले में कहीं भी मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं हुआ है, वही दोषी मुकेश की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि उन्हें टॉर्चर किया गया | मैंने टॉर्चर को लेकर निचली अदालत, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया लेकिन उस पर विचार नहीं किया गया |