भारत रूस से खरीदेगा S 400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम, अमेरिकी दबाव का कोई असर नहीं

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भारत अपनी सीमा की रक्षा के लिए लगातार सेना को मजबूत कर रहा है | रूस से खरीदे जाने वाले एस-400 लंबी दूरी के सुपरसोनिक एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम का समझौता अंतिम चरण पर है, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि समझौता होने के ढाई से चार साल के बीच देश में यह सिस्टम सेना के पास होगा | निर्मला सीतारमण ने रूस से होने वाले इस समझौते पर अमेरिका की आपत्तियों को भी सिरे से खारिज कर दिया है |

 

 

उन्नत किस्म के इस एंटी बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम के आने पर भारत की उत्तरी, उत्तर पूर्वी और उत्तर-पश्चिमी सीमा लगभग पूरी तरह सुरक्षित हो जाएगी | पाकिस्तान और चीन से होने वाले किसी भी हमले के हालत में यह भारत के सुरक्षा के लिए कारगर साबित होगा |

 

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खुद रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ किया कि इस मिसाइल सिस्टम को लेकर रूस के साथ लंबे समय से बातचीत चल रही है, और सौदा अपने आखिरी चरण पर पहुंच चुका है, रक्षा मंत्री ने यह भी साफ़ किया कि भारत ने अपने इस फैसले को अमेरिका के सामने जाहिर भी किया है, कुछ दिन पहले अमेरिकी कांग्रेस का एक दल भारत दौरे पर आया था |

 

 

जब रक्षामंत्री से पूछा गया कि क्या यह CAATSA भारत पर लागू होगा तो उन्होंने कहा कि यह कानून अमेरिका का है, न कि संयुक्त राष्ट्र संघ का, जिसके तहत रूस के साथ सैन्य संबंध रखने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाया जाएगा | लेकिन अमेरिका की इस धमकी पर भारत ने साफ़ कर दिया कि रूस के साथ S-400 का सौदा ज़रूर होगा |

 

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भारत, रूस से सर्फेस टू एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम S 400 खरीद रहा है, जिसकी मारक क्षमता 400 किलोमीटर की है, और ये दुश्मन के मिसाइल या विमानों को अचूक निशाना साधकर खत्म कर सकता है | हाल ही में दोनों देशों के रक्षा मंत्री और विदेश मंत्रियों के बीच होने वाली 2+2 बातचीत की तारीख तय होने के बावजूद पोस्टपोंड हो गई थी, तब से कयास लगाए जा रहे थे कि रूस के साथ होने वाले सौदे के चलते ऐसा हुआ है |

 

 

रक्षामंत्री ने इस पर कोई खास टिप्पणी नहीं की लेकिन यह जरूर बताया कि अमेरिकी दल के उत्तर कोरिया दौरे के मद्देनजर यह बैठक टली थी. लेकिन सितंबर के पहले हफ्ते में बैठक की तारीख तय हो सकती है. भारत और रूस के बीच काफी पुराने और मजबूत सैन्य रिश्ते हैं, जो अब भी वैसे ही बरकरार हैं |