अविश्वास प्रस्ताव से मोदी सरकार को खतरा नहीं, विपक्ष फिर भी कर रही है जीत के दावे

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दरअसल, संसद में मानसून सत्र के पहले दिन लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ टीडीपी की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को मंजूर कर लिया गया है| अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा एवं वोटिंग के लिए लोकसभा अध्यक्ष ने शुक्रवार का दिन मुकर्रर किया है| लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के बहाने पॉलिटिक्स का वो ट्वेंटी-ट्वेंटी मैच होने वाला है, जिसमें सत्ता और विपक्ष दोनों को 2019 से ठीक पहले बैटिंग करने का भरपूर मौका मिला है| कांग्रेस सहित ज्यादातर विपक्षी दल एकजुट हैं, कल इस पर चर्चा होगी और प्रधानमंत्री सदन में अपना पक्ष रखेंगे। इसके साथ इस प्रस्‍ताव पर वोटिंग भी होगी।

इस अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष एकजुट है। कांग्रेस सहित ज्यादातर विपक्षी दलों का समर्थन इसे हासिल है। ऐसे में यह सवाल पैदा होता है कि क्‍या इस अविश्वास प्रस्ताव से मोदी सरकार को कोई खतरा है। मोदी के पास पर्याप्त नंबर है, ऐसे में सरकार सदन में अविश्वास प्रस्ताव की अग्निपरीक्षा को आसानी से पार कर लेगी| ऐसे में एनडीए सरकार के खिलाफ विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाकर पीएम मोदी के दांव में कहीं फंस तो नहीं गया है|

बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए में टीडीपी एक समय पार्टनर रही है| आंध्र प्रदेश को स्पेशल पैकेज के मुद्दे पर नाता तोड़कर टीडीपी अलग हो गई है| इसके बाद से लगातार अविश्वास प्रस्ताव की मांग करती रही, जिसका समर्थन कांग्रेस सहित विपक्ष की दूसरी पार्टियां भी कर रही थीं| मॉनसून सत्र के पहले दिन ही टीडीपी, कांग्रेस, एनसीपी जैसी पार्टियों ने फिर से अविश्वास प्रस्ताव दिया| इस पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने टीडीपी के द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को मंजूर कर लिया| इसके बाद चर्चा और वोटिंग का दिन भी तय कर दिया|

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इसके बाद से मॉनसून सत्र में लोकसभा में बीजेपी सरकार के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव को स्‍पीकर की मंजूरी मिलने के बाद विपक्ष के हौसले बुलंद हैं| संप्रग अध्‍यक्ष सोनिया गांधी ने सदन में अपने सांसदों की संख्‍या पर कहा था कि ‘कौन कहता है कि हमारे पास संख्‍याबल नहीं है|’ शुक्रवार को अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर चर्चा के दौरान पूरे विपक्ष की ताकत दिखेगी’|

हलाकि आपको बताते चले की हालांकि मोदी सरकार पिछले दो सत्र से विपक्ष के द्वारा लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव से बचती रही है| बजट सत्र में कांग्रेस और वाईएसआर कांग्रेस की कई कोशिशों के बावजूद लोकसभा अध्यक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव को मंजूर नहीं किया था| ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव को मॉनसून सत्र के पहले दिन ही नोटिस कर लेना और चर्चा और वोटिंग का दिन भी तय कर देने से कहीं पीएम मोदी के ‘ट्रैप’ में विपक्ष फंस तो नहीं गया|

545 सदस्यों वाली लोकसभा में मौजूदा समय में 535 सांसद हैं। ऐसे भाजपा को बहुमत हासिल करने के लिए महज 268 सांसद चाहिए होंगे। भाजपा के अभी 273 सदस्य हैं, इसके अलावा भाजपा के सहयोगी दलों शिवसेना के 18, एलजेपी के 6, अकाली दल के 4 और अन्य के 9 सदस्य हैं। इस तरह से सदन में कुल संख्या 310 पहुंच रही है। ऐसे में यह उम्‍मीद की जा रही है कि भाजपा को अविश्वास प्रस्ताव को गिराने और सरकार को बचाने में कोई दिक्कत नहीं होने वाली।

मौजूदा समय में भाजपा के कई सांसद बागी रुख अख्तियार किए हुए हैं। इनमें शत्रुघ्न सिन्हा, कीर्ति आजाद और सावित्री बाई फूले प्रमुख हैं। वहीं कुछ सहयोगी दल भी भाजपा से खिन्‍न हैं। महाराष्‍ट्र की शिव सेना भी इन दिनों सरकार से नाराज है। ऐसे में तीन सीटें कम कर दी जाएं तो बीजेपी के पास 270 का आंकड़ा बचता है, जबकि उसे बहुमत के लिए सिर्फ 268 वोट चाहिए| मतलब मोदी सरकार को अविश्‍वास प्रस्‍ताव गिराने के लिए सहयोगियों की भी जरूरत नहीं है|

वही अगर दूसरी तरफ हम विपक्षी दलों की सीटों पर नजर डाले तो सबसे ज्‍यादा 48 सीटें कांग्रेस के पास हैं| अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाने वाली टीडीपी के पास 16 सीटें हैं, जबकि जेडीएस के 1, एनसीपी के 7, आरजेडी के 4, टीएमसी के 34, सीपीआईएम के 9, सपा के 7 सदस्य हैं| इसके अलावा आम आदमी के 4, टीआरएस के 11, वाईएसआर कांग्रेस के 4,एयूडीएफ के 3 और बीजेडी के 20 सदस्य हैं| इन्हें मिला लेते हैं फिर भी 268 के आंकड़े को छू नहीं पा रहे हैं| इस तरह से यह तो पूरी तरह से साफ है कि सदन में अविश्वास प्रस्ताव का औंधे मुंह गिरना तय है|