गीत : नइहर मा कईसे न याद आवै साजन

गीत

sawan final

मस्त मस्त पवन चली, रिम झिम की झड़ी लगी, जियरा माँ आग लगाए है सावन।

नइहर मा कईसे न याद आवै साजन।

डाल डाल बगियन मा झूले पड़ गए,

हरी  हरी घसियन  पे मोती जड़ गए,

कोयलिया कू कू गावे, चूड़ियां  कलाइयां बाजे, हरी धानी सारी पिन्हाए है सावन।

नइहर मा कईसे न याद आवै साजन।

आपन  कहानी  सुनावें  न  सखियां,

कोंच  कोंच  हम  से  पूंछे हैं बतियाँ,

सारी आँख हम पे गड़ी, हमरे पीछे सब हैं पड़ीं, सब पर नसा सा चढ़ाये है सावन।

नइहर मा कईसे न याद आवै साजन।

बाबा  से  भैया  से  लाज  मोहे आवे,

पई के अकेली हमका भवजी सातवें,

देहियां भभक जाये मोरी, छातियाँ धड़क जाये मोरी, मारे सरम के भिगाये है सावन।

नइहर मा कईसे न याद आवै साजन।

दादी,अम्मा पूछें ससुरारी की बतियाँ,

कइसे  बतावें हम  कटत नहीं रतियाँ,

खटिया मा  काँटा चुभे, कोठरी मा  सांस घुटे,  अंग  अंग  हमरा  जलाए  है सावन।

नइहर मा कईसे न याद आवै साजन।

मेहदी अब्बास रिज़वी

  ” मेहदी हललौरी “