भारतीय वायुसेना तेजी से घटते फाइटर स्क्वॉड्रन की संख्या और नए विमानों के आने में हो रही देरी के मद्देनजर अपने पुराने विमानों की उम्र बढ़ाने का फैसला किया है | इस योजना के तहत वायुसेना अलग-अलग देशों के पुराने रिटायर हो चुके जेट को लेने की कोशिश कर रही है ताकि उनके कलपुर्जों का इस्तेमाल वर्तमान में कार्यरत वायुसेना के विमानों के लिए किया जा सके। साथी ही इन विमानों को परमाणु हमले के लिए भी तैयार किया जाएगा |
वायुसेना की कोशिश विशेष तौर से ब्रिटेन के लिए बनाए गए लड़ाकू विमान जगुआर में सफल रही है। जिनमें ओमान, फ्रांस और यूके के पुराने विमानों के कलपुर्जों का इस्तेमाल करके वर्तमान कार्यरत लड़ाकू विमानों की संख्या को बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
रक्षा मंत्रालय के एक सूत्र के मुताबिक, ‘भारतीय वायु सेना में इस समय 118 जगुआर (जिनमें 26 टू-सीटर हैं) लड़ाकू विमान हैं लेकिन हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) में लगातार कलपुर्जों की कमी के कारण इनकी संख्या में तेजी से कमी आ रही है। इसलिए अन्य देशों से इन विमानों के एयरफ्रेम और स्पेयर पार्ट्स की तलाश की जा रही है ताकि ऑपरेशनल विमानों की संख्या में कमी न आए।’
भारतीय वायु सेना और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड काफी समय से रुके हुए 1.5 अरब डॉलर के प्रॉजेक्ट को भी फाइनल करने जा रहे हैं जिसके तहत जगुआर की 5 स्क्वॉड्रन (80 लड़ाकू विमान) में नए इंजन लगाए जाने हैं। इसके बाद ये विमान परमाणु हथियारों को ढोने में सक्षम हो जाएंगे। भारतीय वायु सेना ने साल 1979 में ब्रिटेन से 40 जगुआर विमान खरीदे थे और इसके बाद लाइसेंस के तहत हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने लगभग 150 लड़ाकू विमानों का प्रॉडक्शन किया था।
विमानों की क्षमता में कमी आने लगी क्योंकि इनकी एवियॉनिक्स और वेपन सिस्टम पुराना हो गया। साथ ही इनमें लगा रॉल्स रॉयस का Adour-811 इंजन भी कम शक्तिशाली और पुराना था जिसके कारण कई विमान दुर्घटनाओं का शिकार हो गए। सूत्र ने बताया, ‘फ्रांस और यूके ने अपने जगुआर को 2005-2007 के बीच रिटायर कर दिया है। हालांकि अगर भारतीय वायु सेना अपने जगुआर में नया F-125IN Honeywell इंजन लगाकर इन्हें अपग्रेड कर देती है तो यह 2035 तक काम करने की स्थिति में रहेंगे।’
अभी भारतीय वायु सेना को फ्रांस से जगुआर के 31 एयरफ्रेम, ओमान से 2 एयरफ्रेम, 8 इंजन और 3.500 लाइन स्पेयर्स और यूके से 2 टू-सीटर जेट और 619 पार्ट्स मिलने वाले हैं, सूत्र के मुताबिक, ‘जहां फ्रांस और ओमान इन्हें मुफ्त दे रहे हैं और भारत को केवल इनकी शिपिंग कॉस्ट देनी होगी, वहीं यूके इन विमानों को देने के लिए 2.8 करोड़ रुपये वसूल रहा है।’ 36 नए राफेल विमानों की डील साइन होने के बाद फ्रांस, भारत को ये जगुआर उपहार स्वरूप दिए जाने के लिए काफी उत्साहित है और यह दिसंबर के अंत तक भारत पहुंच जाएंगे |
सौदे के मुताबिक फ्रांस को नवंबर 2019 से अप्रैल 2022 के बीच 36 राफेल विमानों को डिलिवर करना है। हालांकि इन 36 विमानों से भारतीय वायु सेना की क्षमता पूरी नहीं होती है, इस समय भारतीय वायु सेना की क्षमता 31 स्क्वॉड्रन की है जबकि पाकिस्तान और चीन के खतरे को देखते हुए इनकी संख्या 42 होनी चाहिए |
आनेवाले समय में इन स्क्वॉड्रन की संख्या में और कमी आएगी क्योंकि 2024 तक मिग-21 और मिग-27 को वायु सेना से रिटायर कर दिया जाएगा, साथ ही, स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस के निर्माण में भी लगातार देरी हो रही है और इसे अभी लड़ाकू मोर्चे के लिए तैयार होने में अभी और वक्त लगेगा |