सुप्रीम कोर्ट ने जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन पर लगी रोक हटाई, कहा- यह आम आदमी का मौलिक अधिकार है

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दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना और प्रदर्शन पर रोकने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार(23 जुलाई) को अहम फैसला सुनाया जस्टिस एके सिकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने जंतर-मंतर प्रदर्शन से लगी रोक को हटाने का फैसला सुनाया है। इसका मतलब है कि अब लोग जंतर-मंतर पर दोबारा धरना-प्रदर्शन कर सकेंगे। इस मामले में कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को गाइडलाइन बनाने को कहा है। कोर्ट ने यातायात संबंधी एजेंसियों से भी प्रदर्शन के वक्त यातायात सुचारू चले इसके लिए गाइडलाइन और सिफारिशें मांगी थी

दरअसल, NGT ने साल 2017 में जंतर मंतर क्षेत्र में सभी तरह के प्रदर्शन और धरनों पर रोक लगा दी थी और कहा था कि गाय संरक्षण के नाम पर गौवंश और बैलगाड़ी लाना जंतर मंतर क्षेत्र में रह रहे लोगों के लिए मुश्किलों का सबब बनता है| इस रोक के बाद सालों से धरना-प्रदर्शन का गढ़ और अभिव्यक्ति की आजादी का एक सिंबल रहा जंतर-मंतर बिल्कुल शांत हो गया था। इस फैसले से यहां प्रदर्शन करने वालों को काफी राहत जरूर मिलेगी।

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बता दें कि मजदूर किसान शक्ति संगठन और अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर NGT के आदेश को चुनौती दी थी और सेंट्रल दिल्ली में शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन करने की इजाजत देने की मांग की थी| याचिकाकर्ता का कहना था कि साल 2017 अक्टूबर में NGT ने जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन पर रोक लगा दी थी|जबकि पूरी सेंट्रल दिल्ली में दिल्ली पुलिस की ओर से हमेशा के लिए धारा 144 लगाई गई है|

ऐसे में लोगों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है| याचिकाकर्ता का ये भी कहना था कि संविधान से मिले मौलिक अधिकार का हनन नहीं किया जा सकता और दिल्ली पुलिस द्वारा लागू की गई धारा 144 मनमानी और गैरकानूनी है| याचिका में संगठन ने सुझाया है कि इंडिया गेट के पास बोट क्लब पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक तौर पर इजाजत दी जा सकती है|

जंतर-मंतर को खाली किए जाने के एनजीटी के आदेश के बाद पुलिस और स्थानीय निकाय अधिकारियों ने उन तंबुओं तथा अस्थायी ढांचों को हटा दिया गया था जिन्हें पूर्व सैन्यकर्मियों ने वन रैंक-वन पेंशन योजना लागू करने की मांग को लेकर यहां प्रदर्शन के लिए स्थापित किया था। हालांकि जंतर मंतर के शांत होने से यहां के स्थानीय लोगों को काफी खुशी हुई थी क्योंकि प्रदर्शनों की वजह से इन लोगों को काफी परेशानी होती थी। अब जबकि इस रोक को हटा लिया गया है तो जरूर यह स्थानीय लोगों के लिए झटके से कम न होगा।