सावन के पहले सोमवार, मंदिरो पर दिखा भक्तो का जनसैलाब,पूजा के दौरान रखे इन बातो का ध्यान मिलेगी असीम कृपा

Rudrabhishek Puja

सावन का महीना आरंभ होते ही शिव भक्त उनकी पूजा में लीन हो जाते हैं। श्रावण मास में भगवान शंकर का नाम लेने मात्र से सारे दु:ख दूर हो जाते हैं| महादेव को देवों का देव कहा जाता है| भगवान शिव की पूजा अर्चना के लिए वो कभी बेलपत्र तो कभी भांग का सहारा लेते हैं। माना जाता है कि भोलेबाबा को बेलपत्र बेहद पसंद होता है। उदया तिथि के साथ पड़ने वाला ये सावन धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हैं| सावन के महीने का हर दिन जीवन में विशेष महत्व रखता है,|

लेकिन 30 जुलाई को सावन की पहली सोमवारी है| देशभर के मंदिरों में इस मौके पर श्रद्धालुओं ने भगवान शिव का जलाभिषेक किया| शिव मंदिरों में भक्त सुबह से लंबी-लंबी कतारों में लगकर भगवान शिव के दर्शन का इंतजार कर रहे थे| पूरा पूरा श्रावण मास जप,तप और ध्यान के लिए उत्तम होता है, पर इसमें सोमवार का विशेष महत्व है सोमवार का दिन चन्द्र ग्रह का दिन होता है| पौराणिक कथाओं की मानें तो, रुद्राभिषेक के जरिए पूर्व जन्मों के पापों से भी मुक्ति मिल जाती है|

चन्द्रमा के नियंत्रक भगवान शिव हैं| अतः इसदिन पूजा करने से न केवल चन्द्रमा बल्कि भगवान शिव की कृपा भी मिल जाती है| कोई भी व्यक्ति जिसको स्वास्थ्य की समस्या हो, विवाह की मुश्किल हो या दरिद्रता छायी हो| अगर सावन के हर सोमवार को विधि पूर्वक भगवान शिव की आराधना करता है तो तमाम समस्याओं से मुक्ति पा जाता है| सोमवार और शिव जी के सम्बन्ध के कारण ही माँ पार्वती ने सोलह सोमवार का उपवास रखा था| सावन का सोमवार विवाह और संतान की समस्याओं के लिए अचूक माना जाता है|

क्या अहमियत है सावन सोमवार के व्रत की

भगवान शिव की पूजा ख़ास तौर से वैवाहिक जीवन के लिए सोमवार की पूजा की जाती है| अगर कुंडली में विवाह का योग न हो या विवाह में अड़चने आ रही हो | तो संकल्प लेकर अगर सोमवार का व्रत रखे तो बाधाओं से मुक्ति मिलती है| अगर कुंडली में आयु या स्वास्थ्य बाधा हो या मानसिक स्थितियों की समस्या हो तब भी सावन के सोमवार का व्रत श्रेष्ठ परिणाम देता है| सोमवार व्रत का संकल्प सावन में लेना सबसे उत्तम होता है , इसके अलावा इसको अन्य महीनों में भी किया जा सकता है| इसमें मुख्य रूप से शिव लिंग की पूजा होती है और उस पर जल तथा बेल पत्र अर्पित किया जाता है|

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क्या खास है इस बार सावन के सोमवार में

इस बार सावन का सोमवार सौभाग्य योग और शतभिषा नक्षत्र में पड़ेगा| शतभिषा नक्षत्र में सौ तारे माने जाते हैं| माना जाता है कि इस नक्षत्र में की गयी उपासना से तारे सितारे बेहतर हो जाते हैं| शतभिषा नक्षत्र में सावन का पहला सोमवार आकस्मिक बाधाओं से मुक्ति भी दिलाएगा|

पूजा के समय रखे इन बातो का ध्यान होगा लाभ

>प्रातः काल स्नान करने के बाद घर से नंगे पैर जायें तथा घर से ही लोटे में जल भरकर ले शिव मंदिर जाएं|
> मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल अर्पित करें, भगवान को साष्टांग करें, उसके बाद वहीँ पर खड़े होकर शिव मंत्र का १०८ बार जाप करें|
> सायंकाल भगवान के मन्त्रों का फिर जाप करें, तथा उनकी आरती करें और पूजा की समाप्ति पर केवल जलीय आहार ग्रहण करें|
> शत्रु प्रभाव व प्रेत बाधा दूर करने के लिए नारियल के पानी या सरसों के तेल से अभिषेक करना फलदायक होता है|
> विद्या प्राप्ति के लिए दूध मिले शहद से अभिषेक करना उत्तम होगा|
> कारोबार में अड़चनें आ रहीं हों तो घी और इत्र या सुगंधित तेल से शिव का अभिषेक करें, लाभकारी होगा|
> कानूनी अड़चनों के लिए तिल्ली के तेल से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए|
> संतान सुख के लिए गुड़ मिले दूध अथवा कुमकुम के जल व धतूरे से शिवजी का अभिषेक करें|
>लक्ष्मी प्राप्ति के लिए शर्करा या गन्ने के रस से पूजन करनी चाहिए|
> कर्ज से परेशान हैं तो या उधार दिया रुपये वापस नहीं मिल रहे हैं, तो दूब के रस से अभिषेक करें|
>असाध्य रोग खत्म करने के लिए अमर बेल, गिलोय व अनेक औषधियों से अभिषेक करना चाहिए|
>पारिवारिक कलह और अचानक नुकसान से बचने के लिए दही से अभिषेक करना चाहिए|

भगवन शिव की पूजा में बेलपत्र है एहम

भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र के अदभुत प्रयोग होते हैं| बिना बेलपत्र के शिव जी की पूजा सम्पूर्ण नहीं हो सकती| बेलपत्र के दैवीय प्रयोग के अलावा, औषधीय प्रयोग भी होते हैं| इसके प्रयोग से तमाम बीमारियाँ गायब की जा सकती हैं| सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा बेलपत्र के साथ करने से चमत्कारी परिणाम मिल सकते हैं| लेकिन बेलपत्र भगवान को अरिपत करते समय भी कुछ बातो का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है| जैसे एक बेलपत्र में तीन पत्तियाँ होनी चाहिए| पत्तियाँ टूटी हुई न हों और उनमे छेद भी नहीं होना चाहिए| और बेलपत्र जब भी शिव जी को अर्पित करें , चिकनी तरफ से ही चढाएं| बिना जल के बेलपत्र अर्पित नहीं करना चाहिए , जब भी बेलपत्र अर्पित करें साथ में जल की धारा जरूर चढ़ाएं|